Hello friends welcome, you read here inspirational thoughts about life
प्रिय मित्रों आप पढ़ रहे जिन्दंगी पर लिखी कविता जो आपकी आॅखें खोल देगी।
" तेरी फ़ितरत हमें सिखाना है और हमारी
तुझ से शरू होकर... तुझ में ही गुजर जाना है।"
तुझ से शरू होकर... तुझ में ही गुजर जाना है।"
दोस्तों जिंन्दगी के बारे में पूछने पर सभी के अलग- अलग विचार है। तीन हिस्सों में बंटी जिन्दंगी पूछ कर देखों बूढों से कैसे कटी जिन्दंगी।
कट रही है यां काट रहे है जिन्दंगी
कुछ लोग धर्मा, जातियों में बांट रहे है जिन्दंगी
सफलता के शिखर है उॅचें बहुत
जो असफल है वो छॉट रही है जिन्दंगी
कोई कहता है जेल कोई कहना है खेल
कही जुल्मों से काट रहे है जिन्दंगी
गरीबी में गुस्सा नही है मगर
भूखी अमीरी पे क्यों डॉट रहे है जिन्दंगी।
कोई करता व्योपार कोई करता शिकार
कर नेता ऐ दुकान रहे है जिन्दंगी
कोई कहता है सटा फिरोती में कटा
कही रंगों से बॉट रहे है जिन्दंगी
कही कुदर्त की मर्जी की बात कह रहे
तो कही हिम्मत से आॅफ रहे है जिन्दंगी
कही धरती पे पॉव नही किसी का कही
कबरों से झॉक रहे है जिन्दंगी
कम है खुशियां, जुल्मों का झमेला यारों फिर
भी लगा है जिन्दंगी का जेला।
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